यह एक Requested लेख है, अभी कुछ समय पहले मेने एक लेख में Explain किया था कि क्या मरने के बाद
यीशु मसीही उन तीन दिनों में नरक गए थे ?
(यीशु
मसीही के मरने के बाद, उसके साथ क्या हुआ था ?
उसकी आत्मा कहां गई थी ? उसके मरने और उसके पुनरुत्थान के बीच के, उन तीन दिनों में क्या हुआ था ?)
अगर
आपने वो लेख नहीं पढ़ा है तो आप नीचे लिंक
दिया हुआ है आप वहा पर जाकर उस लेख को पढ़ सकते है- वहां पर मैंनेयह स्पष्ट किया था कि यीशु मसीही मरने के बाद सीधे पिता के पास स्वर्ग गए थे न की नरक
Read more =>मरने के बाद यीशु मसीही कहा गए थे ?
तो
उस लेख के कमेन्ट बॉक्स में कुछ मसीही भाइयो ने ये सवाल किया था कि अगर यीशु
मसीही मरने के बाद सीधे स्वर्ग गए थे तो फिर युहन्ना 20 : 17 में यीशु ने मरियम से
ये क्यों कहा कि
यीशु ने उससे कहा, “मुझे मत छू क्योंकि मैं अब तक पिता
के पास ऊपर नहीं गया, परन्तु मेरे भाइयों के
पास जाकर उनसे कह दे, कि मैं अपने पिता, और तुम्हारे पिता, और अपने परमेश्वर और तुम्हारे परमेश्वर
के पास ऊपर जाता हूँ।”
तो इस लेख को पूरा देखियेगा क्योकि इस में हम डिटेल में समझने की कोशिश करेंगे कि क्यों यीशु मसीही ने मरियम को अपने आप को छूने से माना कर दिया था और ये कहा था कि मुझे मत छू क्योंकि मैं अब तक पिता के पास ऊपर नहीं गया
कही
ऐसा तो नहीं है कि यीशु मसीह मरने के बाद उन तीनो दिनों तक नरक की गहराइ में सच
में उतरे थे और उसके बाद तीसरे दिन पुनर्रुथान में जी उठाने के बाद जब यीशु मरियम
को दिखाई दिए और ख़ुशी के मारे जब मरियम ने यीशु को छूना चाह तो यीशु ने उसे छूने
से मना कर दिया था क्योकि यीशु अभी सीधे नरक से होकर आये थे और वे अभी तक स्वर्ग
गए नहीं थे और नहीं चाहते थे कि मरियम यीशु मसीह को छू ले ?
कुछ
मसीह लोगो को तो ऐसा ही लगता है, और कई सारे चर्च में तो बकायदा इस वचन युहन्ना
20:17 को उठाकर और 1 पतरस 3 : 18
, 19
को लेकर जहा लिखा है
18
इसलिए कि मसीह ने भी,
अर्थात्
अधर्मियों के लिये धर्मी ने पापों के कारण एक बार दुःख उठाया, ताकि हमें परमेश्वर के पास पहुँचाए; वह शरीर के भाव से तो मारा गया, पर आत्मा के भाव से जिलाया गया।
19
उसी में उसने जाकर कैदी आत्माओं को भी प्रचार किया।
इन दोनों वचनों को मिलकर ये प्रचार भी किया जाता है कि यीशु मसीही क्रूस पर बलिदान होने के बाद पहले नरक गए और वहा पर मरे हुए लोगो की आत्मा को प्रचार किया और फिर नरक में खुद यीशु मसीह ने और भी ज्यादा पीड़ा को सहन किया ताकि उन मरे हुए लोगो कि आत्मा का भी उद्धार हो सके जो यीशु मसीही के पैदा होने से पहले इस जगत में मर चुके थे
तो
क्या सच में ऐसा ही हुआ था कि यीशु मसीह मरने के बाद पहले 3 दिन नरक में गए फिर वह
से पुनरुथान में जी उठे फिर मरियम को दिखाई दिए और उससे बात करने के बाद स्वर्ग गए
और फिर एक सप्ताह के बाद वापस अपने चेलो से मिलने आये?
युहन्ना 20:17 जहा लिखा है
यीशु ने मरियम से कहा, “मुझे मत छू क्योंकि मैं अब तक पिता
के पास ऊपर नहीं गया, परन्तु मेरे भाइयों के
पास जाकर उनसे कह दे, कि मैं अपने पिता, और तुम्हारे पिता, और अपने परमेश्वर और तुम्हारे परमेश्वर
के पास ऊपर जाता हूँ।”
इस
बात को समझने से पहले आपको इस के कॉन्टेक्स्ट को समझना जरुरी है
आइये
सबसे पहले हम भजन सहित 110 : 4 को पढ़ते है
4 यहोवा ने शपथ खाई और न पछताएगा,
“तू मलिकिसिदक की रीति पर सर्वदा का याजक है।”
भजन सहित 110 में राजा दाउद आत्मा में
भर कर ये भजन यीशु मसीही की भविष्य वाणी के लिय लिखता है जहा पर पिता परमेश्वर, पुत्र परमेश्वर यानिकी यीशु मसीह के लिए यह बोलते है कि यीशु मसीही मलिकिसिदक की
रीति पर सर्वदा का याजक है।
अब ये मलिकिसिदक कौन है जिसके
बारे में कहा जा रहा है ?
देखिये मूसा के समय में परमेश्वर ने
हारून के माध्यम से परमेश्वर के भवन की सेवा का काम यानिकी महायाजक का काम हारून
को सोपा गया था तो इस हिसाब से पहला मह्याजक कौन हुआ “हारून” – Right !
लेकिन बाइबिल हमें बताती है उत्पति
14 : 18 – 20
18 तब शालेम का राजा मलिकिसिदक, जो परमप्रधान परमेश्वर का याजक था, रोटी और दाखमधु ले आया।
19 और उसने अब्राम को यह आशीर्वाद दिया, “परमप्रधान परमेश्वर की ओर से, जो आकाश और पृथ्वी का अधिकारी है, तू धन्य हो।
20 और धन्य है परमप्रधान परमेश्वर, जिसने तेरे द्रोहियों को तेरे वश में कर दिया है।” तब अब्राम ने उसको सब का दशमांश दिया।
तो मलिकिसिदक हारून से भी पहले से परमप्रधान
परमेश्वर का महायाजक था अब्राहम के समय में ,
मलिकिसिदक परमेश्वर के दुवारा चुना हुआ महायाजक था उस समय में,
और
हारून मूसा दुवारा नियुक्त किया गया था
तो यीशु मसीही पहले से ही परमेश्वर के दुवारा चुना हुआ महायाजक था मलिकिसिदक
कि रीती से
इब्रानियों 5:5
वैसे ही मसीह ने भी महायाजक बनने की महिमा अपने आप से नहीं ली, पर उसको उसी ने दी, जिस ने उससे कहा था, “तू मेरा पुत्र है,
यीशु मसीही एक महायाजक भी था ?
महायाजक था? पर कहा का मह्याजक था?
फरीसियो ने तो कभी यीशु को महायाजक नहीं कहा और फिर यीशु ने तो खुद ही मंदिर को कहा
था कि इस मंदिर के पत्थर पर पत्थर न रहेगा
ध्यान से समझिये -
यीशु मसीही परमेश्वर की ओर से महायाजक था उस मंदिर का जो स्वर्ग में है
जो मंदिर मूसा के द्वारा बनाया गया था और जो मंदिर राजा सुलेमान के द्वारा बनाया गया था वो असल मंदिर नहीं था, परमेश्वर का असली भवन या मंदिर तो स्वर्ग में मौजूद है
इब्रानियों 8 : 5
जो स्वर्ग में की वस्तुओं
के प्रतिरूप और प्रतिबिम्ब की सेवा करते हैं, जैसे जब मूसा तम्बू बनाने
पर था, तो उसे यह चेतावनी मिली, “देख जो नमूना तुझे पहाड़ पर दिखाया
गया था, उसके अनुसार सब कुछ बनाना।”
निर्गमन 25 : 40 में परमेश्वर ने मूसा को ये ही कहा था
और सावधान रहकर इन सब
वस्तुओं को उस नमूने के समान बनवाना, जो तुझे इस पर्वत पर दिखाया गया है।
अब यह तो स्पष्ट है कि परमेश्वर का असली भवन या मंदिर स्वर्ग में है और
उस मंदिर का एक महायाजक है और वह है खुद यीशु मसीही
अब आपके मन में ये सवाल उठ सकता है कि यीशु मसीही ही परमेश्वर है, यीशु मसीही ही पवित्र आत्मा है,- क्योकि पिता पुत्र पवित्र आत्मा एक ही है और अब ये महायाजक भी यीशु मसीही ही है – ऐसा कैसे हो सकता है बहुत कांफुस्जन है भाई –
इस बात को समझने के लिए आप ये विडियो देख सकते है इस विडियो TRINITY में मैने बहुत ही डिटेल में समझाया है कि आप पिता पुत्र पवित्र आत्मा को कैसे समझ सकते है ?
अब क्योकि यीशु मसीही स्वर्ग के मंदिर के महायाजक भी है तो बाइबिल हमें बताती है कि महायाजक का एक विशेष काम होता है और पुराने नियम कि 5 किताबे जिनको तौरह कहा जाता है इसमें परमेश्वर के सातो पर्व दिए गए है और इन सातो पर्वो में से एक है प्रायश्चित का पर्व इस पर्व में महायाजक बलिदान के लहू को लेकर मंदिर के महा पवित्र स्थान में प्रवेश करता था इसके बाद याजक का सात दिनों तक तब्बू या मंदिर में ही रहना जरुरी होता था क्योकि वह सात दिनों तक परमेश्वर की सेवा करता था
अपनी इस सेवा के दौरान वो ऐसे किसी से भी नहीं मिल सकता था जो अशुद्ध हो
निर्गन 29 : 35 में ,
“मैंने तुझे जो-जो आज्ञा दी हैं, उन सभी के अनुसार तू
हारून और उसके पुत्रों से करना; और सात दिन तक उनका संस्कार करते रहना,
तो यीशु मसीही ने उस बलिदान के लहू को लेकर जो मनुष्य जाती के लोगो
को उनके पापो से शुद्ध करने के लिए यीशु ने मेमने की तरह क्रूस पर बहाया था स्वर्ग के
मंदिर में प्रवेश किया और सात दिनों तक यीशु वही पर रहे |
अब क्योकि यीशु मसीह के पुनरुथान के बाद वो पहले मरियम को दिखाई दिए तो मरियम खुशी के मारे भावुक हो गई थी और यीशु को छूना चाहती थी उसे गले लगाना चाहती थी लेकिन यीशु ने इसीलिए उसे मना कर दिया था क्योकि यीशु को अभी अपने महायाजक के काम को स्वर्ग के मंदिर में जा कर पूरा करना था उस लहू का प्रायश्चित करना था और इस रीती के अनुसार किसी का भी उनको छूना सही नहीं था
तो फिर यीशु ने अपने चेलो में से एक, थोमा को छूने क्यों दिया और उससे
क्यों कहा कि मेरे हाथ के छेद में अपनी उंगली डाल कर देख
युहन्ना 20:1
सप्ताह के पहले दिन मरियम मगदलीनी भोर को अंधेरा रहते ही कब्र पर आई, और पत्थर को कब्र से हटा हुआ देखा।
तो यह सप्ताह का पहला दिन था जब मरियम ने यीशु को देखा था और उसी दिन
यीशु चेलो पर भी प्रकट हुआ था लेकिन उस दिन थोमा वहां पर नहीं था , उसके 8 दिनों के बाद
दुबारा से यीशु चेलो के पास आया था
युहन्ना 20:26
26 आठ दिन के बाद उसके चेले फिर घर के भीतर थे, और थोमा उनके साथ था, और द्वार बन्द थे, तब यीशु ने आकर और बीच में खड़ा होकर कहा, “तुम्हें शान्ति मिले।”
27 तब उसने थोमा से कहा, “अपनी उँगली यहाँ लाकर मेरे हाथों को
देख और अपना हाथ लाकर मेरे पंजर में डाल और अविश्वासी नहीं परन्तु विश्वासी हो।”
तो यीशु मसीही 7 दिनों तक उनके बीच में मौजूद नहीं थे वो तो स्वर्ग के
मंदिर में थे हमारे पापो का पर्श्चित कर रहे थे और सेवा कर रहे थे अमीन
इब्रानियों 9 : 12
और बकरों और बछड़ों के लहू के द्वारा नहीं, पर अपने ही लहू के द्वारा एक ही बार पवित्रस्थान में प्रवेश किया, और अनन्त छुटकारा प्राप्त किया।
उम्मीद है आप समझ गए होंगे कि यीशु ने मरियम को खुद को छूने से इसलिए
मना नहीं किया था कि वो अभी अभी नरक से होकर आये थे और नहीं चाहते थे कि मरियम
उसको छुए – नहीं मरने के बाद यीशु मसीह सीधे स्वर्ग गए थे और पुनरुथान के बाद 7
दिनों तक वो स्वर्ग के मंदिर में पिता के पास गए थे और वहां पर सेवा कर रहे थे
बाकि अगर आपने वो विडियो नहीं देखी है कि यीशु मरने के बाद कहा गए थे तो आप दिए गए लिंक पर जाकर वो विडियो देख सकते है
Thank you May God bless you , stay tuned stay blesses
धन्यवाद!
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