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यीशु शुभ समाचार बताना
आरम्भ करता है।
(मरकुस 1:9-15)
पृष्ठभूमि
मरकुस 1:1-15, इस खण्ड से मरकुस अपनी पुस्तक का आरम्भ करता है। मरकुस हमें यह दिखाना चाहता है कि यीशु कौन है (मरकुस 1:1, 11)। वह चाहता कि हम अपने पापों से फिरकर शुभ समाचार पर विश्वास करें ( मरकुस 1:15 ) ।
*मुख्य बिन्दु
यीशु परमेश्वर का पुत्र है। परमेश्वर ऐसा कहता है। यीशु शुभ समाचार बताने के लिए आया है। इसलिए हमें इस पर विश्वास कर अपने पापों से फिरना ('पश्चाताप करना') है।
कुछ बातें जिस पर काम करना है
क्या आपने यीशु के शुभ समाचार को कई बार बताया है? संभवतः यह अब लोगों के लिए नया नहीं है। वे यह सोच सकते हैं कि बूढ़ा होने तक वे प्रतीक्षा कर सकते हैं। इस पर विचार करें कि उन्हें यह कैसे दिखाएं कि यीशु उनके लिए इतना महत्वपूर्ण है। उनकी सहायता के लिए शब्द चित्र पर विचार करें। उन्हें दिखाएं कि क्यों उन्हें अपने पापों से फिरकर आज ही यीशु पर विश्वास करना है।
[+] शब्द चित्र उदाहरण:
कल्पना करें कि आप बहुत बीमार हैं। आपको पता चलता है। कि अस्पताल में इसका उपचार है। यह एक बहुत ही अच्छा समाचार है। अत: क्या आप घर ही रहकर मर जाते हैं? या आप अस्पतालल जाते हैं। यीशु का शुभ समाचार आज के लिए है।
*टिप्पणियाँ
• 1:9. 'यरदन' उस नदी का नाम है जिसमें यूहन्ना लोगों को बपतिस्मा देता था।
• मरकुस 1:10, कबूतर क्या है? कबूतर एक सफेद पक्षी है। परमेश्वर यह दिखा रहा था कि वह यीशु से कितना प्रसन्न था। उसने लोगों को यीशु पर अपने आत्मा के उतरने का चित्र दिया था। उसका आत्मा दिखने में कबूतर के समान था।
•मरकुस 1:13, शैतान के यीशु की परीक्षा लेने के पश्चात् परमेश्वर ने स्वर्गदूतों को यीशु की देखभाल करने के लिए भेजा (मत्ती 4:11)
• मरकुस 1:15. 'समय पूरा हुआ है।' परमेश्वर ने पुराने नियम में इस्राएल से एक मसीह (उद्धारकर्ता) की प्रतिज्ञा की थी। उन्होंने कई वर्षों तक प्रतीक्षा की। परन्तु अब यह समय पूरा हो गया है। यीशु परमेश्वर के राज्य का राजा होगा। यीशु परमेश्वर के लोगों पर राज्य करेगा।
परमेश्वर बोलता है !
मरकुस 1:9-11
यह यीशु का अपने काम को आरम्भ करने का समय था। उसका काम शुभ समाचार को लाने का था।
•यीशु ने पहला कौन-सा काम किया ( मरकुस 1:9 ) ? यीशु को हमारे लिए उदाहरण बनने को बपतिस्मा दिया गया (पानी के अन्दर डाला गया)। यीशु का अनुसरण करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को बपतिस्मा लेना यीशु प्रचार करता है !
चाहिए।
•यीशु द्वारा अपने काम को आरम्भ किये जाने पर परमेश्वर ने यीशु के बारे में क्या सोचा था ( मरकुस 1:10, 11)? क्या आपको याद है कि यूहन्ना ने लोगों को यीशु
के विशेष होने के बारे में बताया था? (मरकुस 1:4-8) अब परमेश्वर स्वर्ग से बताता है! यूहन्ना ने यीशु के बारे में सही कहा था। अब परमेश्वर कहता है कि यीशु उसका पुत्र है। हमें उस पर विश्वास करना है।
शैतान परीक्षा लेता है!
मरकुस 1:12, 13
परमेश्वर प्रसन्न था, परन्तु शैतान (दुष्ट) क्रोध में था। परमेश्वर चाहता था कि यीशु शुभ समाचार दे। शैतान यीशु को रोकना चाहता था। शैतान यीशु को आसान मार्ग लेने की परीक्षा में डालता है। ('परीक्षा' का अर्थ किसी को गलत काम कराने के लिए आकर्षित करना है।) परन्तु यीशु ने उसकी नहीं सुनी ऐसा ही परमेश्वर के लोगों के साथ जंगल में हुआ था। (निर्गमन और गिनती में)। इस्राएल परीक्षा में असफल रहा था। इस्राएल ने परमेश्वर पर भरोसा न करने का चुनाव किया था। परन्तु यीशु परीक्षा में नहीं गिरा था।
[**] शैतान हमें सरल मार्ग पर चलने की परीक्षा में डालता है। यीशु को याद रखें। उसने शैतान को न कहा। उसने परमेश्वर पर भरोसा किया। हम यीशु से शैतान को न कहने में हमारी सहायता करने के लिए कह सकते हैं।[**]
यीशु प्रचार करता है
मरकुस 1:14, 15 यीशु ने परीक्षा को पास किया। यीशु जंगल से बाहर शुभ समाचार का प्रचार करने के लिए आता है। यूहन्ना अब और अधिक शुभ समाचार का प्रचार नहीं कर सकता। (क्यों नहीं? मरकुस 1:14)। इसलिए अब यीशु लोगों को यूहन्ना के समान संदेश बताता है।
• वह संदेश कौन सा है?
मरकुस 1:15.
शुभ समाचार यह है कि लोगों को अब और प्रतीक्षा नहीं करनी। राजा आ गया है। जो व्यक्ति उनके पापों को क्षमा कर सकता गया है। यह कुछ करने का समय है।
हमें अपने पापों की क्षमा के लिए अब और प्रतीक्षा नहीं करनी है। यीशु आ गया है।
यीशु के लिए परमेश्वर की प्रशंसा करें। अभी अपने पापों से फिरें (पश्चाताप करें), और उसका अनुसरण करें।
[स्पष्ट करें कि पश्चाताप का क्या अर्थ है-मरकुस 1:1-8 पर टिप्पणी को देखें।]
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मरकुस से प्रचार कर