प्रकाशितवाकया
13: 15-18
और उसे उस पशु की मूर्ति में प्राण
डालने का अधिकार दिया गया, कि पशु की मूर्ति बोलने लगे; और जितने लोग उस पशु की मूर्ति की पूजा न करें, उन्हें मरवा डाले।
और उसने छोटे-बड़े, धनी-कंगाल, स्वतंत्र-दास सब के दाहिने हाथ या
उनके माथे पर एक-एक छाप करा दी,
कि उसको छोड़ जिस पर छाप अर्थात् उस
पशु का नाम, या उसके नाम का अंक हो, और अन्य कोई लेन-देन न कर सके।
ज्ञान इसी में है: जिसे बुद्धि हो, वह इस पशु का अंक जोड़ ले, क्योंकि वह मनुष्य का अंक है, और उसका अंक छः सौ छियासठ है।
आप जानते है कि इस वचन को लेकर लोगो के मन में बहुत सारी confusion रहती है आज इस लेख में हम इस को बहुत ही डिटेल में बाइबिल के नजरिये से जानेगे और एक बार आप इसे सही से समझ जायेंगे तो फिर कोई भी आपको आसानी से गुमराह नहीं कर सकेगा,
तो चलो इसको गहराई से दखते है
सबसे
पहले – आपको ये समझना जरुरी है कि पहले भी बहुत से Antichrist /
मसीही विरोधी हो चुके है और बहुत से अभी भी है और आगे भी होंगे_
हे लड़कों, यह अन्तिम समय है, और जैसा तुम ने सुना है, कि मसीह का विरोधी आनेवाला है, उसके अनुसार अब भी बहुत से मसीह के
विरोधी उठे हैं; इससे हम जानते हैं, कि यह अन्तिम समय है।
तो पहली बात जो आपको समझनी चाहिए, वह यह है कि एक Antichrist बिल्कुल वही है जैसा कि इसके नाम से ही पता चल जाता है
यह एक व्यक्ति या एक आंदोलन है जो मसीह के विरुद्ध में है।– Antichrist –राईट!
और इसके पीछे शैतान का हाथ है
1 युहन्ना 4:1
हे प्रियों, हर एक आत्मा पर विश्वास न
करो: वरन् आत्माओं को परखो, कि वे परमेश्वर की ओर से हैं कि नहीं; क्योंकि बहुत से झूठे
भविष्यद्वक्ता जगत में निकल खड़े हुए हैं।
और जो कोई आत्मा यीशु को
नहीं मानती, वह परमेश्वर की ओर से
नहीं है; यही मसीह के विरोधी की
आत्मा है; जिसकी चर्चा तुम सुन चुके
हो, कि वह आनेवाला है और अब भी जगत में है।
YES, यूहन्ना ने उनके बारे में लिखा है, जो मसीह का अनुसरण करने का दिखावा करते है, जो प्रकाश और ज्ञान का हिस्सा है, लेकिन वे है नहीं।
आपको ये भी समझना जरुरी है कि बहुत से Antichrist होंगे और वे क्या करेंगे? _ वे झूठ बोलेंगे और लोगों को धोखा देंगे। वे अच्छे बनने का दिखावा करेंगे जबकि वास्तव में वे बूरे होंगे।
1
युहन्ना 2 : 22
झूठा कौन है? वह, जो यीशु के मसीह होने का इन्कार
करता है; और मसीह का विरोधी वही है, जो पिता का और पुत्र का इन्कार करता
है
तो, जो लोग यह मानते हैं कि यीशु मसीह परमेश्वर नहीं हैं, वे भी Antichrist हैं, और वे भी Antichrist हैं जो खुद को यीशु मसीह का दिखावा करते हैं, क्योंकि वे यीशु मसीह के विरुद्ध हैं क्योकि वे यीशु मसीह को खुदा नहीं मानते है, वे त्र्निटी को नहीं मानते है उनके लिए पिता पुत्र पवित्र आत्मा एक नहीं है
और जो ट्रिनिटी को नहीं समझते है और इस पर विश्वास नहीं करते है और अलग अलग पंथ में पास जाते है वो भी Antichrist ही है, याद रखिये मसीही पंथ शुरू ही होते है Antichrist की आत्मा के दुवारा उनके लिए वो काफी नहीं है जो भी यीशु मसीह ने क्रूस पर किया था उनको और भी कुछ चाहिए वो ट्रिनिटी का इंकार करते है
अगर आप ट्रिनिटी को और भी आचे से समझना कहते है तो आप ये विडियो देख सकते है इस विडियो का लिंक आपको नीचे में मिल जायेगा
तो यहाँ एक Antichrist की आत्मा है और आपको समझना चाहिए कि यह एक विद्रोह की आत्मा है।
परमेश्वर
और उसके द्वारा स्थापित व्यवस्था और सभी चीजों के खिलाफ विद्रोह की आत्मा
मति
24:24
“क्योंकि झूठे मसीह और झूठे
भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिन्ह और अद्भुत
काम दिखाएँगे, कि यदि हो सके तो चुने
हुओं को भी बहका दें।
हमेशा से ही इंसानों में Antichrist की आत्मा काम करती रही है और करती रहती है उन अनाज्ञाकारी पुरुषों और महिलाओं में।
लेकिन जब हम उस "The Antichrist" की बात करते हैं, और जब वह आएगा, तो वह खुद को परमेश्वर होने का दिखावा करेगा।
किसी रीति से किसी के
धोखे में न आना क्योंकि वह दिन न आएगा, जब तक विद्रोह नहीं होता, और वह अधर्मी पुरुष
अर्थात् विनाश का पुत्र प्रगट न हो ले ।
तो एक बात जो हमें सीखनी चाहिए वो ये है कि यीशु मसीह का दुबारा आगमन तब तक नहीं होगा जब तक कि कलेश शुरू न हो जाये और जब तक वह विनाश का पुत्र The Antichrist न आ जाये जो खुद को परमेश्वर साबित करेगा
2 थिस्लुन्कियो 2:4
जो विरोध करता है, और हर एक से जो परमेश्वर, या पूज्य कहलाता है, अपने आप को बड़ा ठहराता
है, यहाँ तक कि वह परमेश्वर के मन्दिर में बैठकर अपने आप को परमेश्वर
प्रगट करता है।
तो, The Antichrist परमेश्वर होने का दिखावा करेगा। हाँ वो ऐसा ही करेगा और शैतान उसके माध्यम से यह करेगा।
लेकिन वह Antichrist वो ही करेगा जो शैतान हजारों वर्षों से कोशिश कर रहा है, पावरफुल लोगों के माध्यम से। उनके जो अपने आप को इश्वर से भी बढ़ के समझते थे।
यह सब शुरू हुआ मानवता की शुरुआत से, आदम और हवा के साथ।
याद रखें, लूसिफ़र ने आदम और हवा से झूठ बोला और उन्हें यह बताया।
उत्पति 3:4-5
तब सर्प ने स्त्री से कहा, “तुम निश्चय न मरोगे
वरन् परमेश्वर आप जानता है कि जिस दिन तुम उसका फल खाओगे उसी दिन तुम्हारी आँखें
खुल जाएँगी, और तुम भले बुरे का ज्ञान पाकर परमेश्वर के
तुल्य हो जाओगे।”
आप देख सकते है कि शैतान चाहता था कि वे इस बात को समझे कि बुराई कैसे काम करती है और वे बुरे बन जाये,
और फिर हुआ क्या?
उन्होंने वो फल खा लिया
आदम और हव्वा चाहते थे इस पर विश्वास करना कि शैतान जो कह रहा है वो सच है, वे परमेश्वर की तरह बनना चाहते थे, तो उन्होंने पाप किया और जिस क्षण उन्होंने परमेश्वर की आज्ञा तोड़ी उसी समय पाप और बुराई का ज्ञान उनके ऊपर आ गया
और वो आत्मिक तौर पर मर गए और आगे चल कर सभी मनुष्य जाति भी
उनके दुवारा पाप करने का ज्ञान संसार में प्रवेश कर गया
मानवता ने एक नये पापी स्वभाव को प्राप्त किया, जिसमें घमंड केंद्र बिंदु था, और फिर हम देखते हैं कि वे कितने ज्यादा बुरे हो गए थे, आप जानते हैं, बाढ़ से पहले के लोग बेहद दुष्ट हो चुके थे
उत्पति
6 में, शैतान
और गिराए हुए दूतो ने मनुष्यो पर प्रभाव डाला। उन्होंने नेफिलिम दानव पैदा किये और यह केवल बुराई का एक प्याला मात्र था, वे लोग
परमेश्वर के खिलाफ बागी हो गए थे लोगो ने परमेश्वर के विरुद्ध बगावत कर दी थी
उन्होंने इश्वर विरोधीयो की आत्मा की पूजा की और शायद गिराए हुए दूतो की भी और नपिली दानवो कि पूजा इश्वर की तरह की
और अन्तः नुह और उसके परिवार को छोड़कर परमेश्वर ने उन सभी को बाढ के पानी से मिटा दिया
और बाढ़ के बाद लोग फिर से परमेश्वर के विरोधी बन गए थे क्योकि वे पाप में ही जीना चाहते थे
बाढ़ के बाद निम्रोद वह पहला शक्तिशाली व्यक्ति था “नुह का पोता”
उसने
कई सारे बड़े नगर बसाये _ Basically निम्रोद पहला विश्व शाशक था
और क्या आप जानते है, यह बहुत interesting बात है कि Freemasons के लोग निम्रोद को बाढ के बाद का सबसे पहला Grand Master कह कर संबोधित करते है
और यही वो समय था जब लोगो ने परमेश्वर के खिलाफ फिर से बगावत की शुरुवात की थी, दानवो को पूजना शुरू किया था अपने देवताओ के रूप में और अपने अपने धर्मो की शुरुवात कर दी
आप नुह के जल परलय से पहले की हमारी वो विडियो देख सकते है डिस्क्रिप्शन में आपको उस विडियो का लिंक मिल जायेगा
बाढ़ के बाद, लोग फिर से परमेश्वर के खिलाफ बगावत करने लगे और उन्होंने बाबूल का टॉवर बनाया जैसाकि वो टावर आज भी बगावत का प्रतीक है।
यह उसी तरह हुआ जिस तरह बाढ़ से पहले हुआ था।
परमेश्वर को इसे फिर से रोकना पड़ा और उसने लोगो को अलग अलग भाषाए दे दी ताकि वे लोग पुरे विश्व में फ़ैल सके, और वहा से वे लोग अपने साथ वो सब ले गए जो कुछ भी वे जानते थे – और उस धर्म को भी साथ ले गए जो उनके पास उस समय था लेकिन अब अलग अलग नामो से और उन्होंने अपने देवताओ के भी अलग अलग नाम रख दिए जहाँ जहाँ भी वे गए अपने उस धर्म को भी ले गए बस नाम अलग थे, लेकिन मान्यताए समान थी - व्यवस्था विवरण में हम इसे पढ़ सकते है
व्यवस्थाविवरण 32: 17
उन्होंने पिशाचों के लिये जो परमेश्वर न थे बलि चढ़ाए,
और उनके लिये वे अनजाने देवता थे,
वे
तो नये-नये देवता थे जो थोड़े ही दिन से प्रगट हुए थे,
और जिनसे उनके पुरखा कभी डरे नहीं।
निम्रोद के बाद, जब हम मानवता का इतिहास देखते हैं, तो हमेशा, एक राजा - एक शासक - होता रहा है जो अपनी शक्ति के कारण मानता था, कि वह परमेश्वर के समान है। वह बस अपने उंगलियों से चुटकी बजा देता और सबको उसके इशारो पर चलने के लिए कहता, तो सब वैस ही चल देते।
लेकिन
इतिहास के दौरान, जब हम ऐसे व्यक्तियों को देखते हैं जो घमंड से भरे हुए थे - वे मानते थे कि वे अब इश्वर हैं – लेकिन वे बस केवल शैतान के कठपुतलिया होते थे क्योंकि शैतान ने ही उन्हें प्रभावित किया हुआ
था।
यशायाह 14:13-14
तू मन में कहता तो था,
‘मैं
स्वर्ग पर चढूँगा;
मैं
अपने सिंहासन को परमेश्वर के तारागण से अधिक ऊँचा करूँगा; और उत्तर दिशा की छोर पर सभा के पर्वत पर
विराजूँगा;
§
मैं
मेघों से भी ऊँचे-ऊँचे स्थानों के ऊपर चढूँगा, मैं परमप्रधान के तुल्य हो जाऊँगा।’
आप देख सकते है -मैं- मैं- मैं, एक घमंड से भरी हुई “मै”
और
यही वह बात है जो मानवता के पापी स्वभाव के हृदय के मूल तत्व में है। घमंड से भरी
हुई “मैं”
यशायाह 14:15
परन्तु तू अधोलोक में उस गड्ढे की तह तक उतारा जाएगा।
बाबूल
का टावर एक बहुत अच्छा उदाहरण है। उन लोगो का
जो
लोग दुष्टता के प्रभाव में थे,
वे परमेश्वर
के खिलाफ बगावत करने लगे। वे गिराए दूतो को देवताओं के रूप में पूजा करते थे। और
वह एक ऐसा टावर बनाना चाहते थे जो बहुत ऊँचा हो, ताकि
वे अपने आप को परमेश्वर मान सकें और परमेश्वर की जगह ले सके ।
यह कहानी पीढ़ी दर पीढ़ी, पीढ़ी दर पीढ़ी अपने आप को दोहराती रहती है। जब आप मानवता के इतिहास की ओर देखते है ,यह अपने आप को दोहराती रहती है
क्योकि यह एक Antichrist की आत्मा है इन्सान के अंदर एक ताकत की स्पिरिट, जो खुद को परमेश्वर के समान बनाने की इच्छा रखती है यह शैतान की ओर से आती है लूसिफ़ेर की ओर से
यह घमंड है और यह शैतान से आता है लूसिफ़ेर से
वह Antichrist की आत्मा को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे ट्रान्सफर करता जाता है।
अब, मैं कुछ ऐसे व्यक्तियों पर आपका ध्यान केंद्रित करना चाहता हूँ जो इतिहास में थे, जिनके बारे में कुछ लोग – खासकर मसीही लोग ये - सोचते हैं कि वे लोग या फिर वो व्यक्ति शायद वो Antichrist था/है
मीका
5:2
हे
बैतलहम एप्राता,
यदि
तू ऐसा छोटा है कि यहूदा के हजारों में गिना नहीं जाता, तो भी तुझ में से मेरे लिये एक पुरुष निकलेगा, जो इस्राएलियों में प्रभुता करनेवाला होगा; और उसका निकलना प्राचीनकाल से, वरन् अनादि काल से होता आया है।
अब
जैसा कि आप यहाँ पर स्पष्ट रूप से देख सकते हैं,कि यह भविष्यवाणी “मसीह” के बारे में है,कि मसीहा
कहां से आएगा।
लेकिन
फिर हम इसके 5 वचन से पढ़ते हैं:
और
वह शान्ति का मूल होगा,
जब
अश्शूरी हमारे देश पर चढ़ाई करें, और हमारे राजभवनों में पाँव रखें, तब हम उनके विरुद्ध सात चरवाहे वरन् आठ प्रधान
मनुष्य खड़े करेंगे।
और
वे अश्शूर के देश को वरन् प्रवेश के स्थानों तक निम्रोद के देश को तलवार चलाकर मार
लेंगे; और जब अश्शूरी लोग हमारे देश में आएँ, और उसकी सीमा के भीतर पाँव रखें, तब वही पुरुष हमको उनसे बचाएगा।
लेकिन ऐसा नहीं है, जैसा कि मैं आगे इसको स्पष्ट भी करूँगा।
अश्शूरियाई के बारे में वो भाविश्वानी जल्दी ही पूरी भी हो गई थी, लगभग 700 से 800 ईसा पूर्व राजा सेनाचेरिब के द्वारा।
और उस समय वह सुपरपावर था, -एक तरह से, लेकिन वह The Antichrist नहीं था।
क्यों नहीं?
इसको समझने के लिए हमें हमेशा याद रखना है कि The Antichrist को पहचानने के लिए तीन चीजें/criteria हैं, जो The Antichrist के लिए आवश्यक हैं।
एक
नहीं, या दो नहीं बल्कि पूरी तीन – और इन सभी
तीन चीजों का सत्य होना जरुरी है ।
और
हम यह सिर्फ एक ही पुस्तक में से नही पढ़ते हैं, बल्कि
तीन पुस्तकों में से पढ़ते है ।
हम
इसे दानिय्येल, प्रकाशितवाक्य, और 2
थिस्सलोनीकियों में से पढ़ते हैं।
और ये तीन चीजें हैं:
1: वह यरुशलेम के मंदिर पर आकर बैठेगा और परमेश्वर होने का दावा करेगा;
2: वह
The Antichrist पूरी दुनिया
का शासक होगा;
3: शुरवात मे, वह इजराइल में शांति स्थापित करेगा ।
तो
सेनाचेरिब जो विश्व का नेता तो था - लेकिन उनके पास इजराइल के लिए शांति नहीं थी। और
वह मंदिर में भी जाकर नहीं बेठा था, तो वह
वो The Antichrist नहीं
हो सकता।
तो सेनाचेरिब The Antichrist की लिस्ट से out है
दूसरा
, लोग कहते हैं कि “नीरो” The Antichrist था।
Nero
रोम के पांचवें सम्राट थे जिसने 54 ई. से
68 ई. तक शासन किया।
उन्हें The Antichrist माना जाता है,
क्योंकि
लोग नंबर्स की तरफ देखने में रुचि रखते हैं –
जैसे की जेमेट्रिया - जो कुछ खास शब्दों के लिए कुछ नंबर्स की कैलकुलेशन करने की प्रवृत्ति रखते हैं - तो वे एक सिस्टम ढूंढते हैं जहां ऐसा लगता है कि नीरो, जब आप उसका नाम देखते हैं, तो उसके नाम की कैलकुलेशन करने से तीन संख्याएँ निकल कर आती हैं - 666 – जोकि mark of the Beast को संदर्भित करता है, A lawless Man.
तो वे हर अक्षर के लिए एक संख्या का निर्धारण करते हैं ताकि किसी प्रकार का एक छिपा हुआ अर्थ खोजा जा सके और क्योंकि प्रकाशितवाक्य कहता भी है:
जैसाकि प्रकाशितवाक्य 13:18 में लिखा है
ज्ञान
इसी में है: जिसे बुद्धि हो,
वह
इस पशु का अंक जोड़ ले,
क्योंकि
वह मनुष्य का अंक है,
और
उसका अंक छः सौ छियासठ है।
अब, मैं personally यह नहीं मानता कि नीर The Antichrist था।
लेकिन वह The Antichrist नहीं था, क्योंकि हमें सभी पुस्तकों को साथ में देखना चाहिए, और सिर्फ एक पर ही ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए।
अब, मैं नहीं मानता कि Nero The Antichrist था क्योंकि :-
पहला तो, नीरो को यीशु मसीह के दूसरे आगमन के द्वारा पराजित नहीं किया गया था - क्योंकि अभी तक भी यीशु का दूसरा आगमन नहीं हुआ है
और दूसरा , The Antichrist की पराजय महाकलेशकाल के बाद होती है और वो भी अभी तक नहीं हुआ है,
और तीसरा प्रकाशितवाक्य की किताब युहन्ना द्वारा लिखी गई थी जब वह बहुत बूढ़े हो चुके थे, नीरो के राजकाल के बाद के समय में - ये भविष्यवाणी की पुष्तक लिखी गई थी तो प्रकाशितवाक्य ऐसी किसी भाविश्वानी कि बात नहीं करेगी जो पहले ही बीत चुकी हो – Right !!
अब जैसा कि मैंने कहा, मैं मानता हूँ कि Antichrist की आत्मा नीरो पर भी थी क्योंकि वह अत्यंत बुरा शाशक था। उसने कई चीजें की थीं और अनेक विश्वासियो को मार डाला था। लेकिन मैं यह नहीं मानता कि वह The Antichrist था।
अब कुछ लोग KING of TYRE (सोर के राजा )की ओर देखते है और ऐसा कहते है कि वो THE Antichrist है
यहेजकेल 28 : 1-2
यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा :
“हे मनुष्य के सन्तान, सोर के प्रधान से कह, परमेश्वर यहोवा यह कहता है कि तूने मन में फूलकर यह कहा है, ‘मैं ईश्वर हूँ, मैं समुद्र के बीच परमेश्वर के आसन पर बैठा हूँ,’ परन्तु, यद्यपि तू अपने आपको परमेश्वर सा दिखाता है, तो भी तू ईश्वर नहीं, मनुष्य ही है।
आप देख सकते है, फिर से यहाँ पर भी वही Antichrist की यह आत्मा है - घमंड। मैं इश्वर हूँ।
मैं समुद्र के बीच परमेश्वर के आसन पर बैठा हूँ,
आप सिर्फ एक इन्सान हो। और कोई इश्वर नहीं हो, चाहे आप अपने मन को परमेश्वर के समान बना लो।
देखो, यह बार-बार एक ही बात है।
जब हम इतिहास को देखते हैं, तो वही Antichrist की आत्मा है, जो उनमें शासन करती हैं या उन लोगो को शासक बनना चाहती हैं।
जब हम निम्रोद को देखते हैं - जब हम फिराउन को देखते हैं - जब हम सोर के राजा को देखते हैं, रोमन साम्राज्य को, हिटलर को, और जॉर्ज सोरोस को भी। और मैं थोड़ी देर में इल्लुमिनाटी के बारे में भी बात करूँगा।
लेकिन जब आप इस खंड को और आगे पढ़ते हैं तो देखते हैं कि परमेश्वर उस पर न्याय ला रहा है।
यहेजकेल 28: 6-9
इस कारण परमेश्वर यहोवा यह कहता है, तू जो अपना मन परमेश्वर सा दिखाता है,
इसलिए देख, मैं तुझ पर ऐसे परदेशियों से चढ़ाई कराऊँगा, जो सब जातियों से अधिक क्रूर हैं; वे अपनी तलवारें तेरी बुद्धि की शोभा पर चलाएँगे और तेरी चमक-दमक को बिगाड़ेंगे।
वे तुझे कब्र में उतारेंगे, और तू समुद्र के बीच के मारे हुओं की रीति पर
मर जाएगा।
तब, क्या
तू अपने घात करनेवाले के सामने कहता रहेगा, ‘मैं परमेश्वर हूँ?’ तू अपने घायल करनेवाले के हाथ में ईश्वर नहीं,
मनुष्य
ही ठहरेगा।
मैं यहाँ पर 1 मिनट के लिय आपको रोककर ये कहना चाहता हूँ। क्या आपको पता है,
यह बस एक सवाल है - क्या आप मर जाने के बाद भी अपने आप को इश्वर मानोगे? –
जब
हम अन्य धर्मों के इश्वरो को देखते हैं, तो
वे सभी मर गए, केवल ईसा मसीह को छोड़कर।
और वे सब लोग भी जो सोचते थे कि वे इतने शक्तिशाली हैं क्योंकि वे शासन करते थे - वे सोचते थे कि वे इश्वर हैं। लेकिन फिर उनकी मौत हो गई, बस जैसे एक सामान्य आदमी मर जाता हैं।
यहेजकेल 28: 6 का 10
क्योंकि
मैं ही ने ऐसा कहा है,
परमेश्वर
यहोवा की यह वाणी है।
तो आप देख सकते हैं,कि केवल परमेश्वर ही सच्चा परमेश्वर हैं। उसने भविष्यवाणी की थी कि वो सोर को नष्ट कर देगा और ऐसा किया भी पहले नेबुकदनेज़र के दुवारा और फिर अलेक्जेंडर द ग्रेट के द्वारा नष्ट करवा दिया
आप देखते हैं, कि बहुत से लोगों में अन्तिक्रिस्ट की आत्मा है। शैतान उन पर प्रभाव डालता है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि वे वही The Antichrist हैं।
for ex- आप हमास की दुष्ट और क्रूर आर्मी को देख सकते है जो अपने बच्चो को torture करते है जब वे बहुत छोटे ही होते है, वे उनको मारते पिटते है समर्पण करने के लिए और इस्लाम की शिक्षा पर चलने के लिए वे उनको हत्यारे और बलात्कारी बनाते है और ये सब करते है उस Man-made Religion के नाम पर
अगर आपको मेरी बातो पर विश्वास नहीं हो रहा है तो आप हमास के co–founder की औलाद की Testomoney देख सकते है जिसकी खुद की ये आप बीती है---------------- विडियो
अब कुछ लोग कहते हैं कि- वे यह मानते हैं कि वह अंतिक्रिस्ट एक मुस्लिम व्यक्ति होगा।
मुझे ऐसा नहीं लगता!!!
अब क्योंकि, मुस्लिम्स में Antichrist कि आत्मा काम करती हैं क्योंकि वे मानते हैं कि यीशु परमेश्वर नहीं हैं वे बस यह मानते हैं कि वह एक नबी हैं, ईसा अलाई अल सलाम इसीलिए ----- नहीं। No
मुझे यह नहीं लगता कि The Antichrist एक मुस्लिम होगा
क्योंकि पहले तो, मुझे लगता है कि यहूदी उसे अपना मसीहा मानेंगे ही नही, अगर वो एक मुस्लिम हुआ तो!
और फिर मुस्लिमों में भी अपने कई अलग अलग ग्रुप हैं और वे सभी एक साथ मिल नहीं सकते।
तो यह एक ऐसा world लीडर चुनना बहुत मुश्किल होगा, क्योंकि मुस्लिम्स सभी इसके लिए आपस में सहमत नहीं होंगे।
और मैं यह भी मानता हूँ कि दुसरे अन्य लोग भी एक मुस्लिम व्यक्ति को world लीडर के रूप में स्वीकार नहीं करेंगे क्योंकि बहुत से लोग जो इस्लाम का अनुसरण नहीं करते है, तो वे नफरत और हत्या को लेकर उन्हें देखते है कि उनका खुदा एक नफरती इश्वर है
तो वे मुस्लिमो के ईश्वर को प्रेम का ईश्वर नहीं मानते हैं उनका इश्वर पवित्र और धर्मी नहीं है, क्योंकि वह सभी लोगो को पशुओ के सामान व्यवहार करते है।
देखिये परमेश्वर एक पर्सनल इश्वर है जो धर्मी है, पवित्र हैं।और वह प्रेम भी है
और वो धर्म जहाँ इश्वर धर्मी नहीं हैं। और प्रेम में नहीं है, यह पवित्र नहीं है, वहां ये बस एक अंतिक्रिस्ट की आत्मा है।
1 युहन्ना 4 : 7 -12
हे प्रियों,
हम
आपस में प्रेम रखें;
क्योंकि
प्रेम परमेश्वर से है और जो कोई प्रेम करता है, वह परमेश्वर से जन्मा है और परमेश्वर को जानता
है।
जो प्रेम नहीं रखता वह परमेश्वर को नहीं जानता है, क्योंकि परमेश्वर प्रेम है।
जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, वह इससे प्रगट हुआ कि परमेश्वर ने अपने एकलौते
पुत्र को जगत में भेजा है कि हम उसके द्वारा जीवन पाएँ।
प्रेम इसमें नहीं कि हमने परमेश्वर से प्रेम किया पर इसमें है, कि उसने हम से प्रेम किया और हमारे पापों के
प्रायश्चित के लिये अपने पुत्र को भेजा।
हे प्रियों,
जब
परमेश्वर ने हम से ऐसा प्रेम किया, तो हमको भी आपस में प्रेम रखना चाहिए।
प्रेम
द्वारा परमेश्वर को देखना
परमेश्वर को कभी किसी ने नहीं देखा; यदि हम आपस में प्रेम रखें, तो परमेश्वर हम में बना रहता है; और उसका प्रेम हम में सिद्ध होता
तो अब सवाल ये कि , The Antichrist कौन है और वह कहाँ से आएगा?
मैं पर्सनली ये विश्वास करता हूँ कि वह यूरोप से आएगा। --- क्यों?
क्योंकि सारे साबूत उसी की और इशारा करते हैं।
मैं आपके साथ कुछ interesting बातें शेयर करना चाहता हूँ जो आपको जानने की जरूरत है।
कुछ खास फैक्ट्स और मैं इन फैक्ट्स को इस सीरीज के पार्ट 2 में शेयर करूंगा। तो अगर आपने अभी तक wtl को follow नहीं किया है,
तो जल्दी से इसे follow कर ले ताकि आप इस लेख के पार्ट 2 को मिस न करे।
और एक बात हमेशा याद रखें, परमेश्वर आपसे बहुत प्यार करते हैं। और मैं भी आपसे प्यार करता हूँ।
MAY GOD BLESS YOU & YOUR FAMILY
STAY TUNED STAY BLESSED
इसे भी देखे =>
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