अपनी बरकत हमें दे
Apanee barakat hamen de (Lyrics)
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अपनी बरकत हमें दे
झुकती है जो अदब से
सामने तख्त जलाली के
सुन करीम ख़ुदावंद
मादरान की अंजुमन पर
रहम से तू नजर कर
पाक बना हम सबके घर
सुन करीम ख़ुदावंद
भारी बोझ गुनाहों का
तू उतार दे ऐ ख़ुदा
दिल में अपना प्यार बढ़ा
सुन करीम ख़ुदावंद
घर में जब बीमारी हो
मौत की जब तैयारी हो
रंज से दिल जब भरी हो
सुन करीम ख़ुदावंद
काम से जब थक जाते हैं
खतरों से घबराते हैं
तेरे पास जब आते हैं
सुन करीम ख़ुदावंद
हो खुशहाल या होवे गम
तकिया करें तुझ पर हम
रोज ब रोज हर वक्त हर दम
सुन करीम ख़ुदावंद
In English,
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Apanee barakat hamen de
jhukatee hai jo adab se
saamane takht jalaalee ke
sun kareem Khudaavand
Maadaraan kee anjuman par
raham se too najar kar
paak bana ham sabake ghar
sun kareem Khudaavand
Bhaaree bojh gunaahon ka
too utaar de ai Khuda
dil mein apana pyaar badha
sun kareem Khudaavand
Ghar mein jab beemaaree ho
maut kee jab taiyaaree ho
ranj se dil jab bharee ho
sun kareem Khudaavand
Kaam se jab thak jaate hain
khataron se ghabaraate hain
tere paas jab aate hain
sun kareem Khudaavand
Ho khushahaal ya hove gam
takiya karen tujh par ham
roj ba roj har waqt har dam
sun kareem Khudaavand
✨ "अपनी बरकत हमें दे" — एक नम्र पुकार, एक आत्मिक फरियाद
एक ऐसा गीत जो खुदावंद की रहमत को आवाज़ देता है
🕊️ परिचय
"अपनी बरकत हमें दे" एक बेहद भावुक, आत्मा को झकझोर देने वाला भक्ति गीत है, जो परमेश्वर की रहमत, उसकी कृपा और उसकी उपस्थिति की सच्ची तलब को दर्शाता है। यह गीत कोई साधारण गाना नहीं, बल्कि एक झुके हुए दिल की वो पुकार है, जो अपने करीम (दयालु) खुदावंद से कह रहा है — "सुन… मेरी गुहार सुन, तू रहमत कर, तू मेरी सुने!"
🌟 झुकते हुए अदब से…
"अपनी बरकत हमें दे
झुकती है जो अदब से
सामने तख्त जलाली के
सुन करीम ख़ुदावंद"
ये शब्द खुदा के जलाल और हमारी सीमितता के बीच के रिश्ते को दर्शाते हैं। जब एक आत्मा अदब और नम्रता के साथ खुदा के सिंहासन के सामने झुकती है, तो वह उसकी बरकत के लिए पात्र बनती है। यह वही नम्रता है जो स्वर्ग को हिला देती है।
👪 माताओं की अंजुमन और घर की पवित्रता
"मादरान की अंजुमन पर
रहम से तू नजर कर
पाक बना हम सबके घर
सुन करीम ख़ुदावंद"
इस पंक्ति में एक गहरी सामाजिक और आत्मिक भावना छुपी है। यह केवल व्यक्तिगत आशीष की दुआ नहीं, बल्कि पूरे घर और समाज की पवित्रता की माँग है — एक ऐसी दुआ जो आज के समय में अत्यंत प्रासंगिक है।
🧎♂️ गुनाहों का बोझ और खुदा की रहमत
"भारी बोझ गुनाहों का
तू उतार दे ऐ खुदा
दिल में अपना प्यार बढ़ा
सुन करीम ख़ुदावंद"
यह आत्मा की गहराई से निकला पछतावे का स्वर है — जब मनुष्य अपने पापों के बोझ से थक चुका हो और केवल खुदा से कहे, "मुझे माफ़ कर, मुझे बदल, अपने प्यार से भर दे।"
🩺 बीमारी, मौत और ग़म की घड़ी में पुकार
"घर में जब बीमारी हो
मौत की जब तैयारी हो
रंज से दिल जब भरी हो
सुन करीम ख़ुदावंद"
यहाँ गीत मानव जीवन की सबसे कमजोर घड़ी का वर्णन करता है। यह हमें याद दिलाता है कि जब दुनिया से उम्मीदें टूटती हैं, तब करीम खुदावंद ही एकमात्र सहारा होता है।
🛐 थकावट, खतरे और अंतिम आश्रय
"काम से जब थक जाते हैं
खतरों से घबराते हैं
तेरे पास जब आते हैं
सुन करीम ख़ुदावंद"
यह बताता है कि असली विश्राम और सुरक्षा केवल प्रभु के पास है। जब जीवन की आपाधापी और चिंता हमें थका देती है, तो वही “करीम” खुदा हमारी आत्मा को राहत देता है।
☀️ हर हाल में भरोसा
"हो खुशहाल या होवे ग़म
तकिया करें तुझ पर हम
रोज ब रोज हर वक्त हर दम
सुन करीम ख़ुदावंद"
यह गीत का चरम संदेश है: चाहे जीवन में सुख हो या दुख, विश्वास और भरोसा केवल खुदा पर होना चाहिए — हर रोज़, हर समय, हर हाल में।
✝️ निष्कर्ष: एक गीत जो जीवन का साथी बन जाता है
"अपनी बरकत हमें दे" कोई एक विशेष परिस्थिति का गीत नहीं है — यह हर मौसम, हर भाव, हर स्थिति में बोले जाने वाली दुआ है। यह उन सभी के लिए है जो खुदा की रहमत के बिना एक कदम भी नहीं चल सकते।
क्या आपने भी कभी खुदा से यूँ पुकारा है?
"सुन करीम ख़ुदावंद..."
📖 बाइबल कहती है:
"जो दया चाहता है, उसे प्रभु दया करता है।"
(नीति वचन 28:13)
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